Sunday, March 13, 2011

तीन समुद्रों का संगम

—चौं रे चम्पू! दक्खिन की जात्रा में कन्याकुमारी तक गयौ कै नायं?
—गया था चचा। त्रिवेंद्रम से लगभग पिचासी किलोमीटर ही तो है। सुबह-सुबह निकल गए। एक पूरी रात वहां बिताई।
—बिस्तार ते बता ना!
—चारों तरफ हरियाली का विस्तार देखा। नारियल और ताड़ के वृक्षों के बीच बने हुए छोटे-बड़े सादा-सरल से मकान। सड़क किनारे सघन वृक्षों के नीचे नारियल की दुकानें। ख़ूब नारियल पानी पिया और पहली बार ताड़ के फल का जैली जैसा गूदा खाया। सड़क के नीचे गड्डों में इतने नारियल और ताड़ फल इकट्ठा हो गए थे कि मुझे लगा जैसे किसी नाजी कैम्प की खुदाई के बाद मानव खोपड़ियां निकलीं हों।
—ख़राब बात मत कर! कन्याकुमारी कौ सौंदर्य बता।
—होटल में सामान पटककर विवेकानंद शिला की तरफ गए। फेरी में बैठकर चट्टान तक जाना होता है। बड़ी लंबी लाइन थी चचा। तीन-चार एकड़ लंबी-चौड़ी और समुद्रतल से पचास-साठ फुट ऊंची वह चट्टान कन्याकुमारी के पूरब में करीब ढाई किलो मीटर दूर है। समुद्र के बीचों बीच। यहीं पर देवी का एक पुराना मंदिर है। स्वामी विवेकानंद अठारह सौ बानवै में हिमालय से शुरू हुई अपनी यात्रा का समापन करने के लिए यहां आए थे। किसी नाव या फेरी से नहीं वे तैर कर उस चट्टान पर पहुंचे। यहां उन्होंने तीनों समुद्रों से संवाद किया होगा। दक्षिण में हिंद महासागर, पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी का समुद्र। यहीं से वे अमरीका गए थे, जहां उन्होंने अपना विख्यात भाषण दिया था, जिससे उन्हें रातोंरात विश्वव्यापी ख्याति मिली। तभी से इस चट्टान को विवेकानंद चट्टान कहा जाने लगा। चचा इस चट्टान से समुद्र का जितना बड़ा क्षितिज दिखाई देता है उतना मैंने संसार में कहीं नहीं देखा। इसके पास में ही बना है समुद्रों की त्रिवेणी का प्राचीन घाट।
—नदीन कौ संगम तौ सुनौ ऐ पर समुद्रन कौ नायंसुनौ।
—मैं तो देखकर आया हूं चचा। पानी में पांव डालकर घंटे भर बैठे रहे। सागर चरण पखार रहा था। सूरज अरब सागर में डूबने की तैयारी कर रहा था। वहां से पूरब की ओर देखा तो दूसरी चट्टान पर तिरुवल्लुवर की मूर्ति डूबते सूर्य के प्रकाश मेंदमक रही थी।
—जे कोई देवता ऐं का?
—तमिलनाडु में बहुत बड़े कवि हुए हैं तिरुवल्लुवर, जिनको मैं बहुत पसन्द करता हूं। वे यहां के तुलसीदास सदृश्य हैं। मैंने पूरे संसार में किसी कवि की इतनी बड़ी प्रतिमा नहीं देखी। सोवियत संघ में लेखकों की प्रतिमाएं लगी देखी थीं। हालांकि वे लेनिन के बराबर की नहीं थीं। अमेरिका में भी इतनी बड़ी प्रतिमाएं नहीं देखीं। कन्याकुमारी के विवेकानन्द रॉक्स के बराबर क्या विराट और भव्य प्रतिमा बनाई है तिरुवल्लुवर की। अन्दर उनकी सूक्तियां दीवारों पर खोद दी गई हैं। कलात्मक सांवले पत्थर पर श्वेत वर्णों में तिरुवल्लुवर दीप्तिमान थे। मुझे उनका एक कथन बार-बार याद आता है कि अभी तक सीखा ही कितना है। इतने ज्ञान के बावजूद उन्होंने कहा था ज्ञान तो धरती के जितना है, मेरे पास तो मात्र मुट्ठी के जितना है। जब मैंने तिरुवल्लुर की ये बात कहीं पढ़ी तो मैंने ख़ुद से पूछा कि हे चम्पू तेरे पास कितना है? उनके पास मुट्ठी के बराबर है तो तेरे पास तो चुटकी बराबर ही होगा। वह भी चुटकी बजाने में कहीं गिर न जाए इस बात का भी ख़तरा। मैंने चार लाइनें उनसे प्रेरित होकर बनाई थीं।
—चल अपनी चार लाइनन्नैं सुना।
—जो सीखा चुटकी भर सीखा, धरती भर है बाकी, उस पर अहंकार दिखलाना, है यह सीख कहां की? इल्मों के मयखाने से जितना चाहो पी डालो, हर पल रहता खुला और हर दम तत्पर है साकी।
—खूब कही!
—प्रतिमा के चरण छुए। आपकी बहुरानी ने फोटो खींचा। इस यात्रा में आनन्द वर्षा होती रही। कन्याकुमारी से गुरुवायूर, त्रिशूर, कोयम्बटूर और मैसूर होते हुए बैंगलूर पहुंचे। सुदूर ग्यारह सौ किलोमीटर। बाई रोड। ये वृत्तांत फिर कभी सही।
—जरूर।

7 comments:

Khare A said...

maja aay aaapka yatra vratant, kafi rochak jankari banten ke liye abhaar!

प्रवीण पाण्डेय said...

शिला में बैठने मात्र से ज्ञान प्राप्त होने लगता है।

Harshkant tripathi"Pawan" said...

जो सीखा चुटकी भर सीखा,
धरती भर है बाकी,
उस पर अहंकार दिखलाना,
है यह सीख कहां की?
इल्मों के मयखाने से जितना चाहो पी डालो,
हर पल रहता खुला और हर दम तत्पर है साकी।
बहुत खुब. यात्रा से संबंधित जानकारीयाँ हम सब से बांटने के लिए आभार. इंतजार रहेगा कुछ और जानकारियों का....

mridula pradhan said...

bahut achcha likhe hain.....padhne men man laga.

डॉ टी एस दराल said...

कन्याकुमारी का बहुत सुन्दर विवरण प्रस्तुत किया है ।
एक जगह पर तीनों सागर साफ़ दिखाई देते हैं मिलते हुए ।
फिर आपका तो अंदाज़े बयां ही निराला है ।

रूप said...

सुन्दर विवरण, आपकी अपनी स्टाइल में . हम तो यूँ भी आपके फैन हैं .तिरुवल्लूवर का विवरण भी अच्छा लगा ....!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

तिरुवल्लुर की भी फोटू साथ मा लगाई देते :)