Wednesday, March 30, 2011

नाभिकीय ऊर्जा ओम्‌ शांति

(सौंदर्य की विस्फोटक झांकी वही है जो आधी ढकी है)

हादसा अभी-अभी घटा है,

मैं उस विमान में हूं

जो बिल्कुल अभी फटा है।

मेरी डायरी ब्लैक-बॉक्स तो है नहीं

जो मिल जाएगी,

घटना, दिमाग के ब्लैक-बॉक्स में

रिल-मिल जाएगी! ओम् शांति!

अले, अले, अले, अले, अले

मैं तो जीन्दा ऊं

औल विमान भी साबूत है,

कोई अर्थी ताबूत है।

क्या ये मेरी कल्पनाओं का खोट था!

नहीं नहीं नहीं

विमान परिचारिका की

आधी ढकी साड़ी से हुआ

शक्तिशाली

नाभिकीय ऊर्जा विस्फोट था।

ओम शान्ति शान्ति शान्ति!!!

मन में था पाप,

अब करता है शांति का जाप।

ख़ैर मना कि

इतनी बड़ी दुर्घटना में

बच गया बावले।

भंवर से निकल आया

जीवन की नाव ले।

ग़नीमत है कि

सांसों में धड़कन बाकी है,

पर मानेगा कि सौंदर्य की

वही विस्फोटक झांकी है

जो आधी ढकी है,

आधे से ही विस्फोट कर सकी है।

संपूर्ण खुलेपन में

क्या रखा है अनाड़ी,

आधे की झलक में

और संपूर्ण की ललक में

सबसे भव्य, सबसे मोहक

सबसे विस्फोटक है-- साड़ी।

3 comments:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

‘आधी ढकी साड़ी से हुआ

शक्तिशाली

नाभिकीय ऊर्जा विस्फोट था।’

इसमें न जाने कितने शहीद हो गए :)

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

वाकई, अध्-खुले को आपने अध्-ढंका कह कर और शक्तिशाली बना दिया. ...और सही में सम्पूर्ण खुलेपन में क्या रखा है वाली बात भी सही लगी...

प्रवीण पाण्डेय said...

नाभिकीय विस्फोट भी निस्प्रभ हैं...